श्रीमद्भगवद्गीता (यथारूप)
विरचित- फाउंडर आचार्य ए.सी. भक्तिवेदान्त स्वामी श्रील प्रभुपाद (ISKCON)


कर्तव्य और अकर्तव्य की अवस्था में 

शास्त्र ही प्रमाण है।

यः शास्त्रविधिमुत्सृज्य वर्तते कामकारतः ।
न स सिद्धिमवाप्नोति न सुखं न परां गतिम् ॥

जो शास्त्रों के आदेशों की अवहेलना करता है और
मनमाने ढंग से कार्य करता है, उसे न तो सिद्धि, न सुख, न ही परमगति की प्राप्ति हो पाती है ।

-श्रीमद्भगवद्गीता 16.23-24