Varaha Avatar: जब भगवान विष्णु ने पृथ्वी को जल से उठाया

Varaha Avatar" हिंदू धर्म की दस दिव्य लीलाओं (दशावतार) में से तीसरा अवतार है, जिसमें भगवान विष्णु ने पृथ्वी की रक्षा के लिए एक विशाल वराह (सूअर) का रू

आज मैं आपको एक ऐसी अनोखी और चमत्कारी कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जब हमारी पूरी धरती ही पानी में डूब गई थी, और उसे बचाने के लिए भगवान ने एक अद्भुत रूप लिया – जिसे हम वराह भगवान (varaha avatar) कहते हैं। यह केवल एक कहानी नहीं, बल्कि विश्वास, भक्ति और दैवीय संरक्षण का एक शक्तिशाली प्रतीक है, जो हमें सिखाता है कि जीवन में कितनी भी बड़ी मुश्किल क्यों न हो, भगवान की कृपा से हर समस्या का समाधान संभव है। आइए, इस पवित्र कथा में गहराई से उतरें और इसके हर पहलू को समझें।


जब पूरी पृथ्वी गहरे जल में डूब गई: मनु की चिंता और ब्रह्मा जी की व्याकुलता


कल्पना कीजिए, अगर हमारी पूरी पृथ्वी पानी में डूब जाए तो क्या होगा? बहुत समय पहले, सृष्टि के आरंभ में ऐसा ही एक संकट आया था – जब हमारी पूरी पृथ्वी विशाल जल में डूब गई थी। उस समय, मनु, जो सृष्टि के पहले मनुष्य थे, अपनी पत्नी सहित वैदिक ज्ञान के आगार ब्रह्मा जी के समक्ष प्रकट हुए। उन्होंने ब्रह्मा जी को प्रणाम किया और हाथ जोड़कर पूछा, "हे पिता! आप सभी जीवों के पिता और उनके जीवन के स्रोत हैं। कृपया हमें आदेश दें कि हम आपकी सेवा किस प्रकार करें?" उन्होंने अपनी कार्य-क्षमता के अनुसार कर्तव्य पालन करने का निर्देश माँगा, जिससे उन्हें इस जीवन में यश तथा अगले जीवन में उन्नति प्राप्त हो सके।

ब्रह्मा जी मनु की भक्ति से बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने मनु को अपनी पत्नी के गर्भ से अपने समान योग्य संतान उत्पन्न करने, भगवान की भक्ति के नियमों का पालन करते हुए संसार पर शासन करने और यज्ञों द्वारा भगवान की पूजा करने का आदेश दिया। ब्रह्मा जी ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि मनु भौतिक जगत में जीवों को उचित संरक्षण दे सकें, तो यह उनके लिए सर्वोत्तम सेवा होगी। उन्होंने यह भी समझाया कि भगवान जनार्दन (भगवान कृष्ण) ही समस्त यज्ञों के फल को स्वीकार करने वाले हैं, और यदि वे संतुष्ट नहीं हैं, तो उन्नति के लिए मनुष्य का श्रम व्यर्थ है।

मनु ने ब्रह्मा जी की आज्ञा सहर्ष स्वीकार कर ली, लेकिन फिर एक बड़ा प्रश्न उठा – "हे सर्वशक्तिमान प्रभु, हे समस्त पापों के संहारक, मैं आपकी आज्ञा का पालन करूंगा। अब कृपया मुझे मेरा तथा मुझसे उत्पन्न जीवों का स्थान बताइए!" क्योंकि उस समय पृथ्वी गहरे जल में डूबी हुई थी, मनु ने ब्रह्मा जी से विनती की कि वे इस महान जल में डूबी हुई पृथ्वी को ऊपर उठाने का प्रयास करें, क्योंकि यह समस्त जीवों का निवास स्थान है।

इस समस्या को सुनकर ब्रह्मा जी बहुत देर तक विचार करते रहे कि इसे किस प्रकार उठाया जा सकता है। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करें। उन्होंने सोचा कि सृष्टि-कार्य के दौरान पृथ्वी जल-प्रलय से जलमग्न हो गई है और समुद्र की गहराइयों में डूब गई है। उन्होंने अंततः निष्कर्ष निकाला कि ऐसी विकट परिस्थिति में सर्वशक्तिमान भगवान को ही हमारा मार्गदर्शन करने देना सर्वोत्तम है।


वराह भगवान (varaha avatar) का अप्रत्याशित और चमत्कारी प्राकट्य


और फिर हुआ कुछ ऐसा, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी! हे निष्पाप विदुर! जब ब्रह्माजी गहरे विचारों में लीन थे, तो अचानक उनकी नासिका से एक छोटा सा सूअर प्रकट हुआ! उस प्राणी का आकार शुरुआत में अंगूठे के ऊपरी भाग से अधिक नहीं था। लेकिन हे भरतवंशी! ब्रह्माजी उसे देखते ही रह गए, क्योंकि वह वराह पलक झपकते ही एक विशाल हाथी के समान अद्भुत स्वरूप में आकाश में स्थित हो गया!

आकाश में उस अद्भुत सूकर-जैसे रूप को देखकर ब्रह्माजी, मरीचि आदि महान ब्राह्मणों, कुमारों तथा मनु के साथ आश्चर्यचकित होकर अनेक प्रकार से तर्क करने लगे। वे सोचने लगे, "क्या यह कोई असाधारण प्राणी है जो सूअर का वेश धारण करके आया है? यह बहुत ही आश्चर्यजनक है कि यह मेरी नाक से आया है!" और क्या वह पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान विष्णु ही हैं?

ब्रह्मा जी और अन्य ऋषि इसे देखकर हैरान रह गए – वे समझ गए कि ये कोई साधारण जीव नहीं था, ये स्वयं भगवान विष्णु हैं! फिर भगवान वराह ने जोर से गर्जना की, जैसे कोई विशाल पर्वत बोल रहा हो। यह गर्जना इतनी ज़ोरदार थी कि सारे लोकों में गूंज गई। ऋषि-मुनि और देवताओं ने वेदों के मंत्रों से भगवान की स्तुति की।


पृथ्वी का उद्धार: गहरे जल में वराह भगवान (varaha avatar) का प्रवेश और हिरण्याक्ष का वध


अपनी दिव्य गर्जना के बाद, भगवान वराह खेलते हुए हाथी की तरह पानी में कूद गए। उन्होंने अपनी पूँछ हिलाई, अपने शरीर के बाल झटके और अपनी तेज़ दृष्टि से आसमान के बादलों को हटा दिया। भगवान वराह जल में गहरे उतरे और वहाँ जाकर देखा कि धरती समुद्र की गहराइयों में पड़ी हुई है, बिल्कुल वैसे ही जैसे वह शुरुआत में थी। यह भगवान की असीम शक्ति और करुणा का प्रदर्शन था, जब उन्होंने अपने भक्तों की पुकार सुनकर स्वयं पृथ्वी को बचाने का बीड़ा उठाया।

फिर भगवान ने अपने तेज़ दाँतों से धरती को उठाया, जैसे कोई माँ अपने बच्चे को गोद में उठाती है। यह दृश्य कितना अद्भुत रहा होगा – एक विशाल वराह अपने दाँतों पर पूरी पृथ्वी को उठाए हुए! ठीक इसी समय, एक राक्षस आया – जिसका नाम हिरण्याक्ष था। उसने भगवान को रोकने की कोशिश की, क्योंकि वह उस समय अपनी शक्ति के मद में चूर था और सोचता था कि कोई उसे पराजित नहीं कर सकता।

लेकिन भगवान वराह के सामने हिरण्याक्ष की शक्ति टिक न सकी। भगवान वराह ने उसे तुरंत मार दिया, जैसे कोई शेर किसी हाथी को गिरा देता है। राक्षस के खून से भगवान का चेहरा और जीभ लाल हो गई, जो उनकी प्रचंड शक्ति और धर्म की रक्षा के लिए उनके दृढ़ संकल्प को दर्शाता था। यह क्षण वराह भगवान (varaha avatar) के मुख्य उद्देश्यों में से एक था – दुष्टों का संहार कर धर्म की स्थापना करना।


पृथ्वी की पुनः स्थापना और ऋषियों की वराह भगवान (varaha avatar) की स्तुति


जब भगवान वराह धरती को अपने दाँतों पर उठाए हुए जल से बाहर आए, तो ऋषि-मुनि उन्हें देखकर नतमस्तक हो गए। वे भक्तिभाव से भर गए और उन्होंने भगवान की स्तुति करते हुए कहा – “हे प्रभु! आप ही यज्ञों के देवता हैं! आपने तो धरती को ही अपने दाँतों पर सजा लिया है! यह नज़ारा बादलों से ढके पहाड़ जैसा सुंदर लग रहा है।” यह दृश्य उनकी असीम शक्ति, सौंदर्य और सृष्टि के प्रति उनके प्रेम का प्रतीक था।

भगवान वराह ने बड़े प्यार से धरती को उठाकर, फिर से उसे जल पर सही जगह पर स्थापित कर दिया। उन्होंने सुनिश्चित किया कि पृथ्वी अपने मूल स्थान पर स्थिर हो जाए, ताकि उस पर जीवन का संचार फिर से हो सके। सब ऋषियों और योगियों ने उन्हें प्रणाम किया, उनकी महिमा का गुणगान किया। इसके बाद, अपना कार्य पूर्ण करके, भगवान विष्णु अपने धाम (अपने निवास) को लौट गए।


वराह भगवान (varaha avatar) सीख और गहरा महत्व


दोस्तों, ये थी भगवान वराह अवतार की अद्भुत और प्रेरणादायक कहानी। इस कथा से हमें कई महत्वपूर्ण सीख मिलती हैं:

  • भगवान की असीम शक्ति: यह कथा हमें सिखाती है कि भगवान जब चाहें, जैसे चाहें, अपनी सृष्टि की रक्षा कर सकते हैं। उनकी शक्ति असीमित है और वे किसी भी रूप में प्रकट होकर अपने भक्तों और धर्म की रक्षा करते हैं।

  • संकट में भगवान का सहारा: जब ब्रह्मा जी भी पृथ्वी को बचाने का कोई उपाय नहीं ढूंढ पा रहे थे, तब भगवान विष्णु ने स्वयं प्रकट होकर संकट का समाधान किया। यह हमें यह भरोसा दिलाता है कि जीवन में कितनी भी बड़ी मुश्किल क्यों न हो, भगवान की कृपा से हर समस्या का समाधान संभव है।

  • भक्ति का महत्व: मनु की भक्ति और ब्रह्मा जी की प्रार्थना ने ही भगवान को प्रकट होने के लिए प्रेरित किया। यह दर्शाता है कि सच्ची भक्ति और समर्पण से भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है।

  • पाप का संहार: हिरण्याक्ष जैसे राक्षस का वध करके, भगवान वराह ने अधर्म पर धर्म की विजय स्थापित की। यह हमें सिखाता है कि बुराई कभी भी जीत नहीं सकती, और अंततः सत्य तथा धर्म की ही विजय होती है।

  • कथा श्रवण का फल: शास्त्रों में कहा गया है कि जो भी इस पवित्र कथा को श्रद्धा से सुनता या सुनाता है, उसके जीवन से दुख और डर दूर हो जाते हैं। यह कथा हमें मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती है।

वराह भगवान (varaha avatar) केवल एक पौराणिक गाथा नहीं, बल्कि यह हमें यह भी याद दिलाती है कि जब भी धर्म संकट में होता है या सृष्टि पर कोई बड़ा खतरा आता है, तो भगवान स्वयं उसकी रक्षा के लिए अवतार लेते हैं। यह हमें जीवन में आशा, धैर्य और विश्वास बनाए रखने की प्रेरणा देती है।

तो याद रखिए – चाहे जीवन में कोई भी मुश्किल हो, भगवान की कृपा से हर समस्या का समाधान संभव है! हमें बस उन पर विश्वास रखना चाहिए और अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए। यह वराह भगवान (varaha avatar) की कहानी हमें इस सत्य का स्मरण कराती है।

हरे कृष्ण!